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17 जनवरी 2015 को भाषा सहोदरी -हिंदी के नेशनल म्यूजियम ,जनपथ ,नई दिल्ली में सम्पन्न कार्यक्रम की रिपोर्ट |

प्रिय मित्रों,

जैसा कि आप सब जानते हैं कि भाषा सहोदरी-हिंदी भारत का एक ऐसा संगठन है जो हिंदी भाषा/ साहित्यकारों/ रचनाकारों/ कवियों के विकास और सम्मान के लिए अग्रसर है। भाषा सहोदरी-हिंदी अपने सिद्धांतों पर कार्य करते हुए हिंदी को सही दशा और दिशा देने के लिए कटिबद्ध है।

17 जनवरी 2015 को भाषा सहोदरी -हिंदी के नेशनल म्यूजियम ,जनपथ ,नई दिल्ली में सम्पन्न कार्यक्रम की रिपोर्ट | किसी भी संस्कृति के चार स्तम्भ होते है ,राष्ट्रवाद, भाषा ,आचार विचार और परम्पराएँ | भारत में रहने वाले अधिकांश लोगो की बोली ,लिखने पढने की भाषा हिंदी है | यह विश्व में 60 करोड़ लोग जो भारत ,सूरीनाम ,फिजी मारीशस और नेपाल में रहते है ,के द्वारा बोली और लिखी जाती हैं | वास्तव में हिंदी अंग्रेजी के बाद विश्व की दूसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है क्योकि शुद्ध चीनी भाषा बोलने वाले लोगों के संख्या हिंदी बोलने वालों से कम है |.एक समय वह भी था जब कैलाश मानसरोवर से लेकर सिंहल द्वीप तक की भाषा हिंदी ही थी.| प्राकृत उद्गमित ,सम्प्रेष्णायुक्त ,जनतन्द्रा -अन्तक ,भावपूर्ण मातृभाषा हिंदी ही है और संस्कृत की मौलिक उत्तराधिकारी भी | परन्तु अपने ही देश में हिंदी उपेक्षा की शिकार रही | भारत दुर्दशा के लेखक भारतेंदु हरिश्चंद्र ने ” निज भाषा उन्नति अहे ,सब उन्नति का मूल’ कहकर हिंदी का महत्व बहुत पहले ही रेखंकित दिया था | तभी तो आजादी का शंखनाद और वास्तविक अर्थ हिंदी ने ही भारत के जन -जन को समझाया और हम दासता से मुक्त हुए | हम किसी भाषा के विरोध में हो ऐसा नही ,परन्तु हिंदी की दुर्दशा और आजादी के बाद भी राष्ट्र भाषा का गौरव न पाना चिंता का विषय और ज्वलंत प्रश्न आज इस पीढ़ी के सामने खड़ा है| इसी सरोकार को लेकर श्री जयकांत मिश्र (मुख्य संयोजक ) के नेत्रत्व में भाषा सहोदरी -हिंदी ने नेशनल म्यूजियम ,जनपथ नयी दिल्ली में १८ जनवरी को एक साहित्यिक परिचर्चा और तीन पुस्तकों के लोकार्पण का कार्यक्रम आयोजित किया जिसमे स/श्री जेवीजी कृष्णामूर्ति (भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त ),कृष्णबीर चौधरी( किसान नेता ) अवधेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार ) सुनील शास्त्री , शिवसागर तिवारी (अधिवक्ता /सर्वोच्च न्यायालय ) ,विनोद कुमार बिन्नी ,विधायक /दिल्ली ,अजय गोयल ,अलोक पांडे (अधिवक्ता /सर्वोच्च न्यायालय ) सुश्री प्रभा ठाकुर,सांसद,प्रवीण कुमार(पत्रकार /लाइव इंडिया चैनल ), अमिताभ अग्निहोत्री (पत्रकार ) एवं कुमार राकेश (पत्रकार /चैनल वन ) ने पधारकर अपने विचार रखे |

कार्यक्रम का प्रारंभ आमंत्रित अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ और उद्घाटन भाषण श्री जयकांत मिश्र (मुख्य संयोजक ) ने किया | इस अवसर पर उन्होंने विचार रखते हुए ,हिंदी के कार्य को आगे बढ़ाने में भाषा सहोदरी -हिंदी के द्वारा पिछले एक वर्ष से अधिक में किये महत्वपूर्ण कार्यो को रेखांकित करते हुए कहा कि जब तक देश के हर नागरिक को न्याय उसकी मात्रभाषा में नहीं मिलता, उस न्याय का कोई लाभ नही | अदालतों के निर्णयों को आम जनता को समझने में काफी कठिनाई होती है क्योकिं यह भाषा अधिकांश वकील भी नहीं समझ पाते |हिंदी साहित्य को सरल और सुग्राह्य बनाकर इसे जन-जन से जोड़ना है जिससे वे अपनी संस्कृति को समझकर इसे अक्षुण्य रख सके | देश में हिंदी ही केंदीय भाषा हो जो भारतीय भाषाओँ के मध्य सेतु का कार्य करे |भाषा जन जन के मध्य संवाद का माध्यम हो | लार्ड मेकाले ने भारतीयता को समाप्त करने के लिये हिंदी के स्थान पर अंग्रेजी पढ़ाकर भारतीयों को अपना गुलाम बनाया और आज इस केंचुल को उतार फेंकने की मुहिम का पर्याय भाषा सहिदरी -हिंदी है जिसका विस्तार अब देश के समस्त भागों में तेजी से फ़ैल रहा है |

श्री शिवसागर तिवारी (अधिवक्ता /सर्वोच्च न्यायालय ) ने हिंदी के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने के विषय में विस्तार से अपने विचार रखते हुए कहा कि संविधान से गुलामी की भाषा को हटाकर देश की एकता और अखंडता को महफूज रखा जाय | शासको द्वारा उपेक्षा को भी हिंदी सही ढंग से लागू न होना का एक कारण बताया | प्रवीण कुमार जी हिंदी को निजता का विषय कहा कि इसकी शुरूआत हम घर से करे |

डॉ.प्रभाठाकुर (सांसद) ने कहा कि कानून बनाने से हिंदी का विकास नही होगा ,हमें स्वयं से अपने परिवार में हिंदी को सम्मान देने का बीड़ा उठाये | राष्ट्र भाषा थोपी नहीं जा सकती है | हिंदी के सरलीकरण को मिशन बनाया जाय तभी लोग इसे सुगमता से समझेंगे और अपनाएंगे | युवाओं में हिंदी के प्रति रुझान पैदा किया जाय और युवाओं में युवा प्रतीकों के माध्यम से हिंदी के प्रति लगाव उत्पन्न किया जाय |राष्ट्र भाषा से देश का गौरव बढता है ,हमें इसका ध्यान रहना चाहिए |

श्री सुनील शास्त्री जी ने भी हिंदी सरलीकरण पर जोर दिया और इसे प्रेम से आगे बढ़ाये |

श्री अमिताभ अग्निहोत्री जी ने कहा कि सिर्फ कवि ही अमर होते हैं राजा कभी अमर नही होते |हिंदी को उन्होंने कोई खतरा नही बताया | विज्ञापनों में हिंदी के उदाहरण देकर इसे सिद्ध किया |

श्री कृष्णामूर्ति जी ने कहा कि समस्त भाषाए भारत के गले की माला के पवित्र पुष्प हैं और भारत मानवता की माँ है | उनके दादा जी अहिन्दी भाषी होते हुए भी उन्हें हिंदी पढने की सलाह दी थी | देश बचेगा तो हम बचेंगे और हमारी भाषा बचेगी कहकर उन्होंने एक सन्देश दिया |

श्री अवधेश कुमार जी कहा कि यह संकल्प और आत्म निर्णय का विषय है कि हम हिंदी को अपनाये | सरकार अपनी ओर से अध्यादेश लाकर हिंदी को समस्त कार्यों में लागू कर सकती है |
चौधरी कृष्णबीर ने भी हिंदी के महत्व को रेखांकित करते हुए अपने विचार रखते हुए भाषा सहोदरी -हिंदी के द्वारा श्री जयकांत मिश्र (मुख्य संयोजक ) के द्वारा हिंदी के प्रति किये जारहे कार्यो की भूरी -भूरी प्रशंसा करते हुए अध्यक्षीय भाषण दिया |

सुश्री डोली अग्रवाल(मेरठ ) , श्री दीपक दुल्गच(गुजरात ),सुश्री नीलू नीलपरी जी और सहोदरी सोपान – १ में सम्मलित देश के कोने -कोने से आये समस्त रचनाकार कवियों को मंचस्थ अतिथियों ने प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया |

 इसके साथ ही श्री जयकान्त मिश्रा जी ने भाषा सहोदरी परिवार के अहम सदस्य श्री राहुल जी (फॉटोग्राफर- जो संस्था के सभी कार्यक्रमों में निशुल्क अपनी सेवाएँ देते हैं), पंकज सिंह, नीलु नीलपरी जी को मंच पर बुलाकर सभी अतिथियों से परिचय कराया, जो पर्दे के पीछे रहकर बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं |
उसके उपरान्त जन गण मन गान हुआ और अंत में भाषा सहोदरी – हिन्दी परिवार के वरिष्ठ सदस्य श्री रामकिशोर उपाध्याय द्वारा आए हुए सभी अतिथियों और रचनाकारों को धन्यबाद दिया | भाषा सहोदरी परिवार के अहम सदस्य और काव्य संग्रहों के सह संपादक श्री सागर समीप जी दुर्घटना में घायल होने के कारण कार्यक्रम में नहीं आ पाये, उनकी कमी को भाषा सहोदरी परिवार के हर सदस्य ने महसूस की | और इस प्रकार एक सकारात्मक सोच और आगे बढ़ने के संकल्प के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ |

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