संगठनात्मक संरचना
भाषा सहोदरी-हिंदी भारत का एक ऐसा संगठन है जो हिंदी भाषा/ साहित्यकारों/ रचनाकारों/ कवियों के विकास और सम्मान के लिए अग्रसर है। भाषा सहोदरी-हिंदी अधोलिखित सिद्धांतों पर कार्य करते हुए हिंदी को सही दशा और दिशा देने के लिए कटिबद्ध है।
1. संविधान के अनुच्छेद 343(i) के द्वारा हिंदी राजभाषा को राष्ट्रभाषा बनाया जाए।
2. माननीय न्यायालय में हिंदी का उपयोग क्यों नहीं? अदालतें हिंदी में लिखे हुए कागजों का स्वयं अनुवाद क्यों नहीं करती और अर्जी हिंदी में स्वीकार क्यों नहीं करती? हमारा देश, हमारी न्यायपालिका लेकिन हम अपनी भाषा में ही न्यायालय में सरलता से अपनी बात नहीं कह सकते, ऐसा क्यों?
3. इस देश की 80% जनता गावों में रहती है, जो हिंदी भी बहुत मुश्किल से पढ़ पाते हैं। उनके सामने कृषि या मवेशियों की दवाओं और अन्य सामान पर लगे लेबल अंग्रेजी में लिखे होते हैं जिन्हें वे पढ़ भी नहीं पाते। जब अपने हर उत्पाद पर चाइना, जापान, फ्रांस अपनी भाषा में लिखते हैं तब हिंदुस्तान में बिकने वाले देशी-विदेशी सामान पर हिंदी के लेबल क्यों नहीं?
राज्य व भारत सरकार यह सुनिश्चित करे कि जब कोई कंपनी यह शपथ-पत्र देगी कि सामान पर एक तरफ हिंदी में लेबल होगा, तभी उसे लाइसेंस दिया जाए।
4. देशभर में NCERT कक्षा 1 से 12 तक की हिंदी की वही 50 साल से भी पुरानी पाठ्यपुस्तकें छात्रों को पढने को दे रहा है। उनके पाठ्यक्रम में नए साहित्यकारों, लेखकों व कवियों को भी स्थान मिलना चाहिए ताकि आज के छात्र वर्तमान को पढ़ सकें। आने वाले दिनों में हम 1000 रचनाएँ NCERT को देंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि साल में कम से कम 30 रचनाकारों/साहित्यकारों/कवियों की भागीदारी NCERT के पाठ्यक्रम में कक्षा 1 से 12 तक में हो।
मित्रों एक अनुरोध –
एक भारतीय होने के नाते मेरे साथ साथ आप भी इस पोस्ट को इतना शेयर कीजिये कि हमारी हिन्दी भाषा,साहित्यकारों,रचनाकारों एवम् कवियो का सम्मान हो सके।
जय हिन्द जय हिन्दी