भाषा सहोदरी – हिंदी भारत का एक ऐसा संगठन है जो हिंदी के प्रचार, प्रसार और साहित्यकारों के विकास हेतु कटिबद्ध है | इस बार देश भर से 58 नवांकुर रचनाकारों की रचनाओं से सुसज्जित साझा काव्य संग्रह ‘सहोदरी सोपान – २’ सहित दो अन्य काव्य संग्रहों का प्रकाशन भी किया गया जिनमें एक युवा रचनाकर अलफाज जायसी (सौरभ सोनकर) का नज़्म संग्रह ‘चुभन’ और तीन सखियों प्रिया बच्छानी, एकता सारदा और मधुर परिहार का संयुक्त काव्य-संग्रह ‘स्वप्न सृजन’ सम्मिलित है | भाषा सहोदरी – हिंदी का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन १२-१३ जुलाई, २०१५ को दिल्ली में संपन्न हुआ जिसमें भारत के लगभग सभी प्रदेशों के हिन्दी प्रेमी, रचनाकार और साहित्यकार सम्मिलित हुए | अधिवेशन के प्रथम सत्र में तिवारी भवन, प० दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, आई.टी.ओ., दिल्ली के सभागार में प्रिया वच्छानी, एकता सारदा एवं मधुर परिहार ने कुशल मंच सञ्चालन किया | प्रतिभागियों के परिचय के बाद सर्वप्रथम ‘सहोदरी सोपान-२’ के रचनाकारों का काव्य पाठ हुआ, उसके बाद दिल्ली से बाहर से आए हुए कवियों ने काव्य पाठ किया और अंत में दिल्ली एनसीआर के कवियों ने काव्य पाठ किया | कई नवोदित कवियों ने सशक्त रचना पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया | साहित्यिक परिचर्चा के बाद भाषा सहोदरी हिन्दी के मुख्य संयोजक श्री जय कान्त मिश्रा जी ने प्रतिभागियों को संस्था के उद्देश्यों से विस्तार रूप से अवगत कराए I कार्यक्रम के दौरान दो महत्वपूर्ण घोषणाओं को सर्वसम्मति से स्वीकृति दी गयी : –
१. सहोदरी सोपान – २ के सभी रचनाकारों को निःशुल्क सदस्यता देकर भाषा सहोदरी हिंदी के साथ एक कड़ी में जोड़ाना |
२. सहोदरी सोपान – ३ की प्रस्तावना लेकर आयीं झारखंड के हजारीबाग से श्रीमती अनीता मिश्रा जी के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकृत कर सहोदरी सोपान – ३ को प्रकाशित करना |
कार्यक्रम की समाप्ति सामूहिक राष्ट्रगान से हुई उसके उपरांत सभी ने सामूहिक प्रीतभोज किया |
अधिवेशन का दूसरा सत्र राजधानी के प्रतिष्ठित कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब, रफी मार्ग में हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में माननीय डॉ. उदित राज (सांसद), विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रभा ठाकुर (पूर्व सांसद), श्रीमती मैत्रयी पुष्पा, (उपाध्यक्ष हिन्दी अकादमी), दिल्ली, श्री बलदेव भाई शर्मा जी (अध्यक्ष नेशनल बुक ट्रस्ट), श्री जगमोहन सिंह राजपूत (पूर्व निदेशक, एनसीईआरटी), श्री अभय कुमार सिंह (आई. आर. एस.), और किसान नेता डॉ. कृष्णवीर चौधरी जी उपस्थित रहे | कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध पत्रकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक जी ने की | दीप प्रज्ज्वलन के बाद अतिथियों का भव्य स्वागत किया गया और उसके उपरांत करतल ध्वनि के बीच तीनों पुस्तकों का लोकार्पण किया गया | इस बार साहित्यिक परिचर्चा का विषय था – “समकालीन रचनाकारों की एनसीईआरटी (NCERT) में भागीदारी” | सभी अतिथियों ने विस्तार से इस पर चर्चा की तथा भाषा सहोदरी – हिंदी के इस प्रयास की भूरि –भूरि प्रशंसा की | डॉ. उदित राज ने अपने उद्बोधन में भाषा सहोदरी हिंदी संगठन के प्रयासों की प्रशंसा तथा अपने हर प्रकार के सहयोग की बात कही | भाषा सहोदरी हिंदी के मुख्य संयोजक श्री जयकान्त मिश्रा जी ने संस्था के उद्येश्यों को विस्तार से बताया| उन्होने कहा कि हम चाहते हैं कि अ) अदालतों की काम-काज की भाषा हिंदी हो | ब) समकालीन रचनाकारों की एनसीईआरटी (NCERT) में भागीदारी हो | स) देश में बिकने वाले सभी उत्पादों पर विवरण हिन्दी में हो | द) और हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया जाए | कार्यक्रम का मंच संचालन श्री सुधाकर पाठक ने किया | मुख्य संयोजक श्री जय कान्त मिश्रा जी के कुशल संयोजन में हुए इस सफल आयोजन के लिए संपादक मण्डल के सभी सदस्य सर्वश्री सुधाकर पाठक (संपादक), सागर ‘समीप’ (उप-संपादक), शम्भू ठाकुर, डॉ. पवन ’विजय’, प्रिया बच्छानि, एकता सारदा, मधुर परिहार, कल्पना मिश्रा, डॉली अग्रवाल, अन्नपूर्णा वाजपेई और भाषा सहोदरी हिंदी परिवार के सम्मानित वरिष्ठ सदस्य सर्वश्री विजय राय, हामिद खान, दीपक ‘दीप’, पंकज कुमार सिंह, राहुल, श्री राम मेहर मलिक, श्रीमती माया सिंह, श्रीमती चन्द्रकान्ता सिवाल, एवं श्री अनिल त्रिखा जी बधाई के पात्र हैं |