भाषा सहोदरी हिंदी का एक प्रतिनिधि मंडल कल सुबह मिलने पहुंचा महामहिम राष्ट्रपति जी से उद्देश्य था भारतीय भाषाओं की भागीदारी हो भारत के न्यायालयों मे,अनुछेद 348 में संसोधन हो और भारत के लोगो को भारतीय भाषाओं में न्याय मिले, साथ मे थे पूर्व केंद्रीय मंत्री पद्म श्री डॉ सी पी ठाकुर,श्री दीपक ठाकुर समाजिक कार्यकर्ता ,जय कान्त मिश्रा,मुख्य संयोजक भाषा सहोदरी हिंदी,बहुत ही सकारात्मक चर्चा के साथ महामहिम राष्ट्रपति जी ने कहा कि हमने पहले भी इस विषय पर कहा है न्यायालयों में भारतीय भाषाओं की भागीदारी हो,एक सुझाव भाषा सहोदरी ने पहले ही दिए हुए है(1)प्रधान मंत्री,(2)मुख्य न्यायधीश(,3)कानून मंत्री(4),गृह मंत्री (5)राष्ट्रपति जी को,जिला अदालत से उच्चतम न्यायालय तक कैसे बिस्तार किया जा सकता है,आपको बता दें 348 के अनुसार भारत के सभी 24 उच्चन्यालयों की और उच्चतम न्यालय की भाषा अंग्रेजी है, किंतु 351 अनुछेद कहता है कि अगर कोई राज्य अपने राज्य में अपनी भाषा को लागू करना चाहता है तो कर सकता है और ऐसा किया भी है बिहार,उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश,राजस्थान,फिर तमिल,तेलगु,कन्नड़ मल्यालम,गुजराती,बेंगोली,उड़िया मराठी क्यो नही हो सकती !!
जय कान्त मिश्रा ( मुख्य संयोजक)
भाषा सहोदरी हिंदी